Jan Bharati

Jitiya : जितिया व्रत में उदया तिथि का विशेष महत्व

बच्चों की सेहत और दीर्घायु के लिए माताएं रखती हैं निर्जला व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को को मनाया जाता है महिलाओं को एक दिन पहले से तामसिक आहार ,प्याज, लहसुन, मांसाहार खाना वर्जित माना गया है। कुछ स्थानो पर नहाय खाय के पूर्व इस दिवस पर मछली ग्रहण करने की प्रथा है

एक दिन पूर्व कांदा की सब्जी ,माैनी साग मड़ुवा की रोटी खाती है, इसके बाद अष्टमी तिथि का उपवास रखती है मान्यता है , कि प्रभु श्री कृष्ण के आशीर्वाद से उतरा के बच्चा को कुछ नहीं हुआ था | तब से इस घटना के पश्चात उसके पुत्र का नाम जीवित्पुत्री नाम दिया | ये पुत्र थोड़ा बड़ा होकर परीक्षित बना ।

इसी कारण तभी से संतान के लंबे उम्र के लिए जितिया व्रत को रखने लगीं , माताएं अपने बच्चों की सेहत और दीर्घायु के लिए जितिया व्रत रखती हैं

जब श्राद्ध महालय मनाया जाता है इसके अंतर्गत जीवित्पुत्री व्रत किया जाता है एवं महिलाएं निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन कब पूजन करती हैं यह व्रत सप्तमी वृद्धा तिथि से लेकर नवमी तिथि समाप्त होती है, सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है

नवमी तिथि आने पर महिलाएं जरई खाकर व्रत का पार करती हैं, उसके पश्चात पितृो को भोजन निकालती है | इसी बिच में नहाने खाने में सतपुतिया की सब्जी का अधिक महत्व माना जाता है ये सब्जी शरीर में ठंडक एवं ऊर्जा पोषण बनाए रखती है ।

विधि प्रवेश परिणाम को लेकर धरना : हरिश्चन्द्र पी जी कॉलेज

YouTube